पेरियॉडिक टेबल सुनाकर सात साल की पर्लमीत ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पाया स्थान

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नई दिल्ली मार्च 24, 2020: ‘‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए सिरसा की रहने वाली पर्लमीत ने पेरियॉडिक टेबल को मात्र 38 सैकिंड में सुना कर एक नया रिकॉर्ड बना दिया। पर्लमीत सेंट एमएसजी ग्लोरियस इंटरनेशनल स्कूल, सिरसा की कक्षा तीसरी की छात्रा हैं, पर्लमीत को अपनी पढ़ाई के अलावा नई-नई चीजें करने व सीखने का भी जुनून रहता है। शाह सतनाम जी स्टेडियम क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष एवं उद्यमी जसमीत सिंह व हुस्नमीत के अनुसार उनकी बेटी पर्लमीत बपचन से ही बेहद कुशाग्र बुद्धि है, उनके अनुसार जब उनकी बेटी के स्कूल स्टाफ ने बताया कि पर्लमीत की पढ़ने एवं याद रखने की क्षमता अद्भुत है, अत: क्यों न पर्लमीत का प्रदर्शन इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के सामने करवाया जाए। तब उन्होंने 17 फरवरी को दिल्ली स्थित इंडिया बुक  ऑफ रिकॉर्ड्स के समक्ष पर्लमीत की प्रतिभा का प्रदर्शन किया। यहां सात साल एवं 11 महीने की पर्लमीत ने मात्र 38 सैकिंड में ही पूरी पेरियॉडिक टेबल सुनाकर नया रिकॉर्ड बना दिया। इतनी कम उम्र के बच्चे की प्रतिभा को देख इंडिया बुक  ऑफ रिकॉर्ड्स के सदस्य भी प्रभावित हुए। उनका कहना था कि पर्लमीत का इतने कठिन शब्दों को याद करना, सहजता से उच्चारण और बोलने की स्पीड अद्भुत है।  
वर्णनीय है कि पेरियॉडिक टेबल में कुल 118 तत्व हैं, जो कि कैमिस्ट्री के काफी कठिन शब्द हैं, जिन्हें 7 साल के बच्चे मुश्किल से ही पढ़ पाते हैं, इन्हें याद रखना छोटे बच्चों के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं। पर्लमीत ने अपना रिकार्ड बनाने के साथ ही 9 वर्षीय दिव्यम दादासाहेब भोरे, पुणे (महाराष्ट्र) का 16 सितंबर 2019 का 43 सैकिंड का पूर्व रिकार्ड भी तोड़ दिया।
इंडिया बुक  ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुसार पर्लमीत का पेरियॉडिक टेबल रिकॉर्ड वर्ष 2021 की बुक में प्रकाशित होगा, जोकि जनवरी 2021 को बाजार में आएगी। पर्लमीत द्वारा 38 सैकिंड में पेरियॉडिक टेबल सुना कर रिकॉर्ड स्थापित करने पर इंडिया बुक  ऑफ रिकार्ड्स की ओर से उन्हें प्रशंसा पत्र एवं एक गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया है।

पर्लमीत की इस सफलता से न केवल स्कूल एवं माता-पिता खुश हैं बल्कि पूरा सरसा अपने जिले की इस उपलब्धि पर गदगद है।


वर्णनीय है कि पेरियॉडिक टेबल में कुल 118 तत्व हैं, जो कि कैमिस्ट्री के काफी कठिन शब्द हैं, जिन्हें 7 साल के बच्चे मुश्किल से ही पढ़ पाते हैं, इन्हें याद रखना तो छोटे बच्चों के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं। 

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