14 सितंबर, 2022: आगामी त्योहारी मौसम और जेएनपीटी के यातायात के कारण इंटरसिटी ट्रकों की बढ़ती मांग को देखते हुए, राहो ने पश्चिम भारत के भिवंडी में अपना परिचालन शुरू किया है। राहो भारत का सबसे तेजी से बढ़ रहा डिजिटल फ्रेट नेटवर्क है और पुणे तथा गांधीधाम में पहले से इसके ऑफिस हैं।भिवंडी मुख्य रूप से कंज्यूमर गुड्स, टायर्स, पैकेजेस, इलेक्ट्रॉनिक्स, आयातित वस्तुओं और कच्चे माल के शिपमेंट्स को हैंडल करता है। भिवंडी से ट्रक एनसीआर (गुरूग्राम, दिल्ली, नोएडा और गाजि़याबाद), कोलकाता, गुवाहाटी, दक्षिण में हैदराबाद, चेन्नई और कोच्चि और पश्चिम में बेंगलुरु जा सकते हैं। इसके ट्रकों की कुछ अन्य छोटे मार्गों पर भी आवाजाही होती है, जैसे भिवंडी से पुणे, नागपुर, अहमदाबाद, गोवा और इंदौर।भारत की सबसे बड़ी और व्यस्ततम कंटेनर पोर्ट सुविधा जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट- न्हावा शेवा (जेएनपीटी) 1500 से ज्यादा वेयरहाउसेस के द्वारा भिवंडी की फ्रेट्स की पूर्ति करती है। यह पूरा क्षेत्र एक महीने में 20,000 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय करता है। राहो के नेटवर्क में भिवंडी के होने से न केवल पश्चिमी क्षेत्र से होने वाले व्यवसायों में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान मिलने की अपेक्षा है।राहो के सीईओ एवं सह-संस्थापक इम्तियाज़ ने कहा, “हमारा पहले से एक क्रॉस-कंट्री डिजिटल फ्रेट नेटवर्क है और हम पूरे भारत में मौजूद हैं। इस नेटवर्क में भिवंडी के जुड़ने से पश्चिमी क्षेत्र में बढ़ रही मांग पूरी होगी। भिवंडी इस क्षेत्र में भौगोलिक रूप से अच्छी स्थिति में है और कई शिपमेंट मूवमेंट्स का केन्द्र है। इससे हमें न केवल पश्चिमी क्षेत्र में मौजूद अपने पार्टनर्स की बेहतर सेवा करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह हमारे लिये भूमिबद्ध उत्तरी क्षेत्र का दरवाजा भी बनेगा।”राहो ने पूरे भारत में सफलतापूर्वक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और उसके ऑफिस गुरूग्राम, बिलासपुर, रूद्रपुर, करनाल, पलवल, सोनीपत, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और कोयंबटूर के पास तिरुपुर में हैं। राहो के विषय में2017 में स्थापित राहो इंटरसिटी ट्रकों के लिये भारत का सबसे तेजी से बढ़ रहा मार्केटप्लेस है। कंपनी का मुख्यालय गुरूग्राम में है और इसकी मौजूदगी पूरे भारत में है- एनसीआर, करनाल, रूद्रपुर, हरिद्वार, अम्बाला (उत्तर), चेन्नई, बेंगलुरु, कोयंबटूर, हैदराबाद (दक्षिण), कोलकाता (पूर्व) और पुणे (पश्चिम)। राहो का लक्ष्य है फ्रेट मैचिंग के लिये टेक्नोलॉजी और डेटा-साइंस का फायदा उठाकर ट्रकर्स और ड्राइवर्स की जिन्दगी को बेहतर बनाना। एसेट-लाइट और पूंजी के मामले में सक्षम राहो ने बड़े पैमाने पर सकारात्मक यूनिट इकोनॉमिक्स सुनिश्चित किया है। राहो ट्रकिंग और निगरानी के लिये त्वरित समाधान के आधार पर अपनी मार्केटप्लेस द्वारा लिक्विडिटी बनाती है। लोड ट्रकों के पास उपलब्ध होता है और ट्रक 20 मिनट के भीतर नजदीकी शिपर्स के लिये उपलब्ध होते हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि ट्रकों का मासिक उपयोग 7000 किलोमीटर से बढ़कर 11000 किलोमीटर हो गया है। यह पैमाना इतना बड़ा है कि राहो के प्लेटफॉर्म पर तय की जाने वाली दूरी पृथ्वी के 1200 चक्कर लगाने के बराबर है। भारत में लॉजिस्टिक्स पर खर्च जीडीपी का 14% होता है, जो कि 7% के वैश्विक मापदंड से लगभग दोगुना है और भारत की इंटरसिटी ट्रकिंग ही 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की है। राहो तृतीय पक्ष के लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं (शिपर्स) और ट्रक मालिकों (ट्रकर्स) के साथ काम करती है, ताकि प्रणाली की अक्षमताएं दूर हो सकें, जो कि अन्यथा तितर-बितर हैं और ऑफलाइन उद्योग में तो हाथों से फ्रेट मैचिंग होती है, जो 2 लाख ऑफलाइन ब्रोकर्स और 12 मिलियन ट्रकों अलग-अलग पर निर्भर है (75% ट्रकर्स के पास 5 से ज्यादा ट्रक नहीं हैं)।
