एक आम लड़की के सपनों की कहानी है ‘मिली’, जाह्नवी कपूर ने जीता दिल

मनोरंजन

ये फिल्म एक सरवाइवल थ्रिलर है,यानी बचे और जीवित रहने की जद्दोजहद बताने वाली की एक कहानी। निर्देशक मतुकुट्टी जेवियर ने 2019 में `हेलन’ नाम की एक मलयालम फिल्म बनाई थी जिसे अवॉर्ड भी मिला था। ‘मिली’उसी का हिंदी रीमेक है। जाह्नवी कपूर ने इसमें मिली नाम की ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जो देहरादून में रहती है। वो नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और अच्छे भविष्य के लिए कनाडा जाना चाहती है।

उसकी मां नहीं है लेकिन पिता के साथ उनका रिश्ता घना दिखाया गया है। दोनों के बीच प्यार वाली तकरार भी हमेशा होती रहती है। मिली एक रेस्तरा में काम करती है और एक रात उसके फ्रीजर वाले कमरे में अकेली रह जाती है। कमरे का तापमान लगातार नीचे गिर रहा है और निकलने का कोई रास्ता नहीं है।कैसे वो अपने को कमरे से बाहर निकलने के लिए तरह-तरह की कोशिश करती है। इसी के इर्दगिर्द सारी कहानी है। उसकी एक प्रेम कहानी भी है जो साथ-साथ चलती रहती है। पूरी फिल्म तनाव से भरी है। क्या मिली बची रहेगी या वहीं जम कर मर जाएगी?

फिल्म के बीच में एक चूहा आता है जो कुछ देर के लिए मिली का साथ देता है। उसके शरीर की गर्माहट कुछ समय के लिए मिली का साथ देती है। लेकिन कब तक? इस फिल्म को देखते हुए कुछ साल पहले आई राजकुमार राव की फिल्म ‘ट्रैप्ड’ की याद आती है। लेकिन ‘मिली’ में आशंका ज्यादा है। बीच-बीच में कुछ दूसरे वाकये भी हैं जो मूल कथा को ही आगे बढ़ाते हैं।

जैसे एक पुलिस वाला है जो बेहद दुखी है। मिली की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखने को तैयार नहीं है। मिली के बॉयफ्रेंड समीर (सनी कौशल) का भी एक निजी पहलू है जो धीरे-धीरे खुलता है। एक पिता और एक बेटी के बीच आत्मीय रिश्ते के कई लम्हे भी इसमें हैं।

फिल्म में एआर रहमान का संगीत है जो दर्शक के मन में पैदा हो रही आशंकाओं को और भी गहराता है। फिल्म सीमित रुचि वाले दर्शकों के लिए है और इसमें किसी तरह की मसालेबाजी नहीं है। बीच-बीच में हंसी मजाक भी है। जाह्नवी कपूर के पिता बोनी कपूर इस फिल्म के निर्माता हैं।

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