दलाल स्ट्रीट: निवेशकों में डर के माहौल के कारण बाजार में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट

दुनिया देश बिज़नेस सेहत

सोमवार को कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने दलाल स्ट्रीट को भी अपनी चपेट में ले लिया। सेंसेक्स शुरुआती ट्रेड में 3 हजार पॉइंट गिरा और इसके बाद मार्केट में लोअर सर्किट लगाते हुए 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। हालांकि दोबारा मार्केट खुलने के बाद भी बिकवली जारी रहने के कारण कोई राहत नहीं मिली। दिन के अंत तक सेंसेक्स में 13 खरब रुपए डूब चुके थे और यह 3935 पॉइंट की गिरावट के साथ बंद हुआ।

मार्केट की इस स्थिति को सिर्फ एक ही चीज रोक सकती है: कोविड का इलाज

दुनियाभर में कोविड-19 के 3,40,000 मरीजों की पुष्टि के साथ कुल 14,717 मौतें हो चुकी हैं। तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो 415 मरीजों की पुष्टि और 8 मौतों के साथ भारत से इसे सीमित रखने में कुछ हद तक बेहतर काम किया है। अमेरिका में संक्रमति मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ते हुए 35 हजार के पार जा चुकी है और 414 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि प्रत्येक 3 में से 1 अमेरिकी को घर में रहने को कहा गया है। वहीं, चीन से अच्छी खबर भी आई है, जहां अब लगातार 5वें दिन कोई घरेलू संक्रमित मरीज सामने नहीं आया है, और सिर्फ 39 बाहरी मरीज मिले हैं। भारत में लॉकडाउन के साथ ही यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अगले कुछ सप्ताह में स्थिति किस प्रकार बदलेगी।

खराब हो सकती है निफ्टी की स्थिति

1100 पॉइंट के गोते बाद भी निफ्टी में बिकवली का दौर जारी रह सकता है। कल मार्केट 7350 से 7500 के सपोर्ट लेवल को तोड़ सकता है। निफ्टी के कुछ सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले स्टॉक में बीएफएसआई सेक्टर में 27.91% गिरावट वाला एक्सिस बैंक, 25.85% के साथ बजार फिनसर्व और 23.59% की गिरावट के साथ इंडसिंड बैंक शामिल है। मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और बजाज ऑटो के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद होने से इनमें क्रमश: 16.91%, 14.36% और 13.68% की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि निफ़्टी का सबसे बुरा ट्रेडिंग दिन होने के बावजूद पावर ग्रिड, गेल और कोल इंडिया में क्रमश: 2.7%, 3.47% और 3.73% की गिरावट के साथ पावर सेक्टर कुछ हद तक सम्हलने में सक्षम रहा है।

फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर:

फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर का मार्केट से पैसे निकालना मार्च महीने में भी जारी है। एफआईआई इस महीने में 20 मार्च तक इक्विटीज से करीब 46,165 करोड़ रुपए निकाल चुके हैं, जो एफआईआई निवेश के लिहाज से 2018 के बाद से सबसे खराब महीना साबित हो रहा है। हालांकि भारतीय बाजार में घरेलू निवेशक एफआईआई से विपरीत अभी भी जमे हुए हैं और आशा की किरण बनकर उभरे हैं।

अमेरिका की जीडीपी और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई से मिलेंगे संकेत:

अमेरिका की जीडीपी और मैन्युफैक्चरिंग पीएफआई के आंकड़े भविष्य के मार्केट की रूपरेखा तय करेंगे। फेडरल बैंक बाजार में लिक्विडिटी बनाए रखने और डॉलर की कमी को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही क्रेडिट में बढ़ावा और राहत पैकेज के साथ प्रयास किया जा रहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था को सुचारू रखा जाए। हालांकि अमेरिका में कोविड के विस्तार के बाद अब जीडीपी और पीएमआई के आंकड़े ही जमीनी हकीकत बता पाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *