व्यापक इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर, फिर भी सेंसेक्स, एनएसई गिरावट के साथ बंद हुए

बिज़नेस

अमर देव सिंह, हेड एडवायजरी, एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड

नई दिल्ली: आईटी और फार्मास्युटिकल सेक्टर के शेयरों में बिकवाली के दबाव के कारण भारतीय शेयर बाजारों में आज गिरावट देखने को मिली। कारोबारी सत्र में मध्यांतर तक स्टॉक मार्केट आगे बढ़ रहा था और सेंसेक्स 1.35 प्रतिशत चढ़कर 31,086.70 अंक पर पहुंच गया था। इसी तरह, निफ्टी-50 बेंचमार्क 9,161.65 पर था, लेकिन कारोबारी सत्र के दूसरे हाफ में उसने सभी लाभ गंवा दिए।
मंगलवार को बाजार बंद होने के समय सेंसेक्स 63.29 अंकों या 0.21 फीसदी की गिरावट के साथ 30,609.30 पर और निफ्टी 10.20 अंक या 0.11 फीसदी की गिरावट के साथ 9,029.05 पर बंद हुआ।
एनएसई के 11 सेक्टोरल इंडेक्स में से आठ निफ्टी मेटल, ऑटो और बैंकिंग क्रमशः 2.7 प्रतिशत, 1.51 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ हरे रंग में बंद हुए।
बिक्री का दबाव एसएंडपी बीएसई टेलीकॉम इंडेक्स में दिखा, जिसके मूल्य में 4.6 प्रतिशत की कमी आई, जबकि एसएंडपी बीएसई आईटी इंडेक्स 2.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स ने भी 0.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
दिन के टॉप लूजर्स में एयरटेल ने अपने मूल्य का 5% से अधिक गंवाया, और 557.95 रुपये पर बंद हुआ। दिन के अन्य लूजर्स में बजाज फिनसर्व (-5.06%), पिरामल एंटरप्राइजेज (-4.94%), रिलायंस इंफ्रा (-4.82%), इंडियाबुल्स वेंचर्स (-4.81%), रिलायंस कैपिटल (-4.58%) शामिल हैं।
दिन के टॉप गेनर्स में जेएसपीएल (12.99%), गोदरेज इंडस्ट्रीज (12.40%), अदानी पावर (11.21%), आदित्य बिड़ला कैपिटल, (7.38%) थे।
दो महीने के अंतराल के बाद भारत में हवाई यात्रा शुरू होने के बावजूद, विमानन शेयरों में मंगलवार को गिरावट जारी रही। इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड, जो इंडिगो एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करता है, ने अपने मूल्य का 3.31% खो दिया और आज 942 रुपये पर बंद हुआ। इसी तरह स्पाइस जेट ने भी अपने मूल्य का 1.45% गंवाया और 44.30 रुपए पर बंद हुआ।
ग्लोबल मार्केट्स
एशियाई शेयरों में मंगलवार को सकारात्मक शुरुआत हुई और जापान के निक्केई में 1.7 प्रतिशत की बढ़त रही। एमएससीआई के जापान से बाहर के व्यापक एशिया-प्रशांत शेयर्स में 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। आज के कारोबार में एफटीएसई को 1.11% की बढ़त मिली।
कमोडिटी बाजारों में, पूरी दुनियाभर में मांग में सुधार के संकेतों के बावजूद ओपेक ने कच्चे तेल की सप्लाई को घटाने पर विश्वास जताया और कच्चे तेल की कीमतों में ऊपर की और मूवमेंट देखा गया।

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